सफ़ेद पन्नो की काली स्याही मैं कहाँ तू समझ आता था,
अँधेरी रात में दिए तले कहाँ तू नज़र आता था,
बाज़ार के शोर गुल में कहाँ तू सुनाई देता था,
में तो बस तुझे अपनी धड़कन में महसूस करता हूँ,
और उसे में हरदम साथ लिए चलता हूँ.
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2 comments:
sublime... :)
absolutely so :)
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